
इस लेख में What is SMPS in hindi में जानेगे की,आज के समय में हर कोई कंप्यूटर का इस्तेमाल करता है चाय वहां डेस्कटॉप हो या लैपटॉप । लेकिन क्या आप जानते हैं की कंप्यूटर को सुचारू रूप से कंट्रोल करने के लिए बिजली की जरूरत होती है। और हमारे घरों में इस्तेमाल होने वाली 220V-240V कंप्यूटर के लिए बहुत ही ज्यादा होती है, इससे कंप्यूटर के पार्ट को नुकसान हो सकता है।
अब सवाल उठता है कि कंप्यूटर के पार्ट को कितनी बिजली की जरूरत होती है और वोल्टेज किस प्रकार कंट्रोल किया जाता है? तो इसका उत्तर SMPS है, मतलब स्विच मॉड पावर सप्लाई। इस आर्टिकल में बताने वाली है कि SMPS कैसे काम करता है? SMPS उपयोग कहां होता है? और इसके टाइप कितने होते हैं? आपके सारे डाउट आज क्लियर हो जाएंगे इसके लिए इस article को पूरा पढ़े-
What is SMPS in hindi
SMPS का पूरा नाम स्विच मॉड पावर सप्लाई है। या एक इलेक्ट्रॉनिक सर्किट होता है जिसे अगर आप डेस्कटॉप कंप्यूटर के लिए अलग से खरीदते हैं तो यहां एक चौकोर आकार के बॉक्सर के रूप में मिलता है। इस डिवाइस कंप्यूटर के अलग-अलग पार्ट जैसे RAM , मदरबोर्ड, और पंखे को बिजली की सप्लाई करता है। मदरबोर्ड से अलग-अलग कंपोनेंट तक बिजली पहुंचाने का काम SMPS के द्वारा ही होता है।

आप इससे काम करने के तरीके पर नजर डालते हैं जब कंप्यूटर को मुख्य पावर सप्लाई यानी घर के बोर्ड से जोड़ते हैं तो बिजली सबसे पहले AC (Alternative Current) के रूप में होती है। जब यहां AC पावर SMPS तक पहुंचती है तो SMPS इसे DC (direct Current) में बदल देता है। यहां काम कैपेसिटर और डायोड की हेल्प से होता है, जो वोल्टेज को कंट्रोल करते हैं। इसके अलावा या रेगुलेटर की हेल्प से स्विच को कभी भी ऑन ऑफ कर सकते हैं। जिससे स्विच मॉड बदलता रहता है, कभी AC को DC और कभी DC को AC में परिवर्तित करता है।
इसे स्विचिंग प्रक्रिया के कारण इसे स्विच मॉड पावर सप्लाई कहा जाता है आप सब समझ गए होंगे कि SMPS क्या है और कैसे काम करता है।
SMPS कैसे काम करता है
आपको पता ही होंगे की कंप्यूटर DC ( direct Current) में काम करता है, जबकि घर में चलने वाले सभी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जैसे टेलीविजन, लाइट फैन जो की AC में चलता है। घर के बिजली में कंप्यूटर को चलाने के लिए एक पावर कन्वर्टर की जरूरत होती है उसे ही SMPS कहा जाता है।

इस काम को SMPS करता है, इलेक्ट्रिक पावर को AC से DC में बदलने के लिए एक पावर रेगुलेटर का उपयोग होता है। जब बिजली की सप्लाई केबल के माध्यम से कंप्यूटर तक पहुंचती है, तो सबसे पहले SMPS में प्रवेश करती है। जहां छोटे-छोटे डिवाइस से बिजली इनसे होते हुए शुरुआत में, Current AC फिल्टर से होकर गुजरता है, जहां न्यूट्रल और फेस के बीच NTC , फ्यूज, लाइन फिल्टर, और PF कैपेसिटर का उपयोग होता है।
इस प्रक्रिया के बाद आउटपुट को रेक्टिफायर और फिल्टर सर्किट को भेज जाता है जो AC Current को DC Current में बदलता है। रेक्टिफायर और फिल्टर दो कैपेसिटर की हेल्प से इसे डायरेक्ट करंट को स्मूथ करता है और इसका आउटपुट शुद्ध डीसी करंट होता है जिसे बाद में स्विचिंग ट्रांजिस्टर को भेजा जाता है। यहां पर दो NPN ट्रांजिस्टर का इस्तेमाल होता है, जो स्विचिंग साइकिल की मदद से एक बार फिर AC आउटपुट देते हैं। इस आउटपुट को SM ट्रांसफर पर नामक एक और सर्किट में भेजा जाता है।
यहां SMPS के प्राइमरी सर्किट का हिस्सा है इसके बाद इस आउटपुट को एक बार फिर से रेक्टिफायर और फिल्टर सर्किट में भेजा जाता है, जो इसे फिर से स्मूथ DC करंट में बदल देता है। ध्यान रखें कि घर में ट्रांसफार्मर से आने वाली बिजली AC होती है, जबकि बैटरी से मिलने वाली बिजली DC होती है। इस प्रक्रिया के बाद आउटपुट दिन अलग-अलग वोल्टेज फॉर्म होता है जैसे 12V , 5V और 3V यहां SMPS की प्राइमरी और सेकेंडरी सर्किट का हिस्सा है।
प्राइमरी सर्किट के रेक्टिफायर और फिल्टर का आउटपुट एक स्टाटर ट्रांसफार्मर से जुड़ा होता है, जो एक एमप्लीफायर IC के साथ कनेक्ट होता है। इस IC से तीन मुख्य केवल निकलते हैं। जैसे हर जो पावर ऑन केवल है, बेगानी जो +5 V का स्टैंड बाय करंट देता है, और ग्रे कलर में जो पावर गुड केबल के रूप में जाना जाता है।
यह तीनों केवल्स मदरबोर्ड से जुड़ते हैं स्विचिंग ट्रांजिस्टर और एमप्लीफायर IC को एक ड्राइवर के साथ कनेक्ट किया जाता है और इसे एमप्लीफायर IC के माध्यम से कंट्रोल किया जाता है। सेकेंडरी स्विच सर्किट से एक सेंसिंग वायर होता है जो एमप्लीफायर IC को लोड में वृद्धि की सूचना देता है। इस संकट के आधार पर, ड्राइवर स्विचिंग ट्रांजिस्टर को ऑन ऑफ प्रक्रिया को बढ़ाता है, जिससे वोल्टेज की सप्लाई स्थिर स्विचिंग मोड पावर सप्लाई कहा जाता है। जब आप हरा केबल पावर ऑन होता है, तो 12V 5V और 3V वोल्टेज SMPS से मदरबोर्ड को भेजा जाता है।
इस प्रकार से SMPS कंप्यूटर के अलग-अलग हिस्सों को सुरक्षित और आवश्यक बिजली की आपूर्ति करता है जिससे यहां पता चलता है कि सभी कंपोनेंट सही तरीके से और सुरक्षित रूप से कम कर रहे हैं। कुछ इस तरीके से काम करता है।
SMPS कहा उपयोग होता है?
SMPS , जिसे स्विच मॉड पावर सप्लाई कहा जाता है, एक इलेक्ट्रॉनिक पावर सप्लाई है जो बिजली सही तरीके से बदलने के लिए स्विचिंग रेगुलेटर का उपयोग होता है। जैसे अन्य पावर सप्लाई SPMS भी AC या DC स्रोत से बिजली लेकर इसे DC load जैसे पर्सनल कंप्यूटर के लिए उपयुक्त वोल्टेज और करंट में बदलता है।
High Efficiency या हल्के वजन की जरूरत होती है तो स्विचिंग रेगुलेटर का उपयोग किया जाता है जो की पारंपरिक लाइनर रेगुलेटर की जगह लेता है। इसकी High Efficiency के कारण स्विच मॉड पावर सप्लाई का उपयोग कई इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम में पावर का एक विश्वसनीय और प्रभावी स्रोत के रूप में किया जाता है खासकर उन जगहों पर जहां इसकी जरूरत होती है।
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diract current और Alternative Current के बारे जाने
AC और DC करंट के बीच अंतर
विशेषता | AC (Alternating Current) | DC (Direct Current) |
---|---|---|
दिशा का प्रवाह | करंट की दिशा लगातार बदलती रहती है। मतलब पॉजिटिव से नेगेटिव और नेगेटिव से पॉजिटिव की ओर | करंट केवल एक दिशा में बहता है जो नेगेटिव से पॉजिटिव की ओर |
फ्रीक्वेंसी | 50 हर्ट्ज (भारत में) | कोई फ्रीक्वेंसी नहीं होती। |
वोल्टेज का व्यवहार | वोल्टेज समय के साथ बदलता रहता है (साइन वेव पैटर्न)। | वोल्टेज स्थिर रहता है। |
उपयोग | घरों और उद्योगों में बिजली आपूर्ति के लिए। | बैटरी, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, और गाड़ियों में। |
बिजली की सप्लाई | लंबी दूरी तक बिजली की सप्लाई के लिए उपयुक्त। | कम दूरी की सप्लाई के लिए उपयुक्त। |
उत्पत्ति | जनरेटर और पावर प्लांट्स से उत्पन्न होती है। | बैटरी, सोलर पैनल, और डायरेक्ट करंट जनरेटर से उत्पन्न। |
SMPS के प्रकार (Types of SMPS)
SMPS टाइप्स के होते है आप इसे निचे पढ़े –
DC से DC Converter
यह एक प्रकार का SMPS कनवर्टर है जिसमें आने वाली करंट AC होती है। इस AC करंट को DC में बदलने से पहले यहां करंट पहले स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर के प्राइमरी साइड से गुजरती है। स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर SMPS का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है और इसका काम 50Hz पर काम करना है।
इस प्रक्रिया के दौरान वोल्टेज को रेक्टिफाई और फिल्टर किया जाता है, और फिर ट्रांसफार्मर के सेकेंडरी साइड में भेजा जाता है। इसके बाद आउटपुट वोल्टेज को अलग-अलग हिस्सों में वितरित किया जाता है। अंत में इस आउटपुट को एक बार फिर स्विच के पास पावर सप्लाई के लिए वापस भेजा जाता है ताकि वोल्टेज को नियंत्रित किया जा सके।
Forward Converter
यह भी एक प्रकार का कनवर्टर होता है जो करंट को Choke के माध्यम से कंट्रोल करता है, भले ही ट्रांजिस्टर अपना काम करता हो या नहीं। जो ट्रांजिस्टर पुरी तरह से बंद हो जाता है, तब यहां काम Diode द्वारा किया जाता है। इस कारण लोड के भीतर ऊर्जा को संचय किया जाता है, चाय ट्रांजिस्टर ऑन हो या ऑफ हो। Choke इस ऊर्जा को ओं पीरियड के दौरान संग्रहित करता है और कुछ ऊर्जा को आउटपुट लोड की ओर भेजता है।
Flyback Converter
यह भी एक फ्लाईबैक कन्वर्टर होता है, जब स्विच ऑन होता है तो inductor प्रारंभिक चुंबकीय क्षेत्र में ऊर्जा संचित हो जाती है। जब स्विच बंद हो जाता है तो यहां संचित ऊर्जा आउटपुट वोल्टेज सर्किट में प्रवाहित हो जाती है। फ्लाईबैक कन्वर्टर में आउटपुट वोल्टेज को ड्यूटी साइकिल के माध्यम से कंट्रोल किया जाता है।
Self-Oscillating Flyback Converter
यह सबसे सरल और बुनियादी कन्वर्टर है जो प्राइवेट कन्वर्टर पर आधारित होता है जो संचालन के दौरान स्विचिंग ट्रांजिस्टर प्राथमिक रूप से एक रैखिक ढलान के अनुसार बढ़ता है जिसे Win/LP के रूप में दर्शाया जाता है।
SMPS के कनेक्टर
SMPS पावर ट्रांसफर का उपयोग कंप्यूटर सिस्टम के विभिन्न घटकों जैसे हार्ड डिस्क ड्राइव, मदरबोर्ड और अन्य इलेक्ट्रिसिटी पार्ट को इलेक्ट्रिसिटी प्रदान करता है। या एक तरह का पावर कनेक्टर है जो DC वोल्टेज को ले जाने के लिए इलेक्ट्रिक चार्ज के रूप में में काम करता है। इसके प्रकार पांच तरह के होते हैं-
ATX Power Connectors
यह एक 20-pin पिन कनेक्टर है जो 6 अलग-अलग वोल्टेज आउटपुट प्रदान करता है । ATX कनेक्टर का उपयोग मदरबोर्ड को पावर सप्लाई करने के लिए किया जाता है। हर पी पर तार का रंग रिलेटेड वोल्टेज को दर्शाता है।
24 pin Power Connectors
यहां 24-pin SMPS कनेक्टर ATX है जो अलग-अलग पावर कनेक्टर के साथ बनाया गया है और इसका उपयोग पावर सप्लाई प्रदान करने के लिए किया जाता है। इसे PC के मुख्य शक्ति ट्रांसफर के रूप में जाना जाता है। इस कनेक्टर में 20-pin कनेक्टर की तुलना में चार अधिक पी होते हैं जो विभिन्न वोल्टेज स्तरों को सपोर्ट करते हैं।
पिन नंबर 11 , 12 , और 23 क्रमशः +12V , +3.3V , और +5V वोल्टेज प्रदान करते हैं जबकि पिन नंबर 24 को ग्राउंड के रूप में उपयोग किया जाता है। इस कनेक्टर के माध्यम से मदरबोर्ड और उससे जुड़े सभी घटक जैसे RAM , ऑन बोर्ड पीसीआई ग्राफिक कार्ड, और अन्य कार्ड्स को पावर सप्लाई की जाती है। 24-pin पिन कनेक्टर में कुल 24-pin होते हैं, जिसमें 20 pin अलग और 4 pin अलग से होते हैं। पुराने मदरबोर्ड में 20-Pin कनेक्टर होता है जबकि आधुनिक मदरबोर्ड में 24-Pin कनेक्टर की आवश्यकता होती है।
ATX P4 Power Connectors
यहाँ कनेक्टर मदरबोर्ड में लगे CPU को पावर सप्लाई करता है ओर इसमें प्रदान की जाने वाली करंट 12V की होती है । खासतौर पर कुछ मदरबोर्ड में CPU को पावर देने के लिए सॉकेट होते है , जबकि अन्य मदरबोर्ड में 8-pin सॉकेट अवेलबल होते है । इस कारण यहाँ कनेक्टर 8-pin (4+4) के में अवेलबल होती है ।
Molex Connectors
Disk Drive power connector 4-pin Connectors का इस्तेमाल करते है , जिसे सामान्य Molex Connector कहा जाता है । हार्ड डिस्क ड्राइव , DVD drive , CD Drive Molex Connecter का उपयोग किया जाता है इस कनेक्टर में पिन के तारो का रंग उनके रेलेटेड वोल्टेज को दर्शाते है ।
SATA Power Connectors
SATA पावर कनेक्टर का उपयोग कंप्यूटर की हार्ड डिस्क ड्राइव , CD/DVD drive को कनेक्ट ओर पावर सप्लाई करने के लिए किये जाते है । यहाँ एक 15-pin कनेक्टर होता है जिसमे अलग अलग वोल्टेज के लिए पिन होते है जैसे – 3.3V , 5V ओर 12V के लिए पिने होते है और ग्राउंड के लिए 6-pin होते है ।
PCI-E 6pin Connectors
PCT-E 6pin connecter में 6 से 8 पिन होते है और उन्हें कंप्यूटर के PCI-E एक्सप्रेस डिवाइस जैसे ग्राफिक्स कार्ड , को पावर सप्लाई देने के लिए इस्तेमाल किये जाते है , ये कनेक्टर 12V की supply प्रदान करते है और उन्हें कभी – कभी PCI-E केबल या PEG (PCI Express Graphics) केबल भी कहा जाता है ।
SMPS के Advantage
- SMPS का वजन हल्का होता है और यहाँ साइज में छोटा होता है , जिससे इसे अलग – अलग स्थानों पर आसानी से फिट किया जा सकता है ।
- SMPS choti पावर की कमी को भी आसानी से पूरा कर सकता है ।
- SMPS अलग – अलग इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को उनकी आवश्यकतानुसार उचित पावर सप्लाई प्रदान करता है ।
- चाहे inpute कितना भी बदल जाये , लेकिन SMPS Outpute वोल्टेज को स्थिर बनाये रखता है ।
- SMPS की ऑउटपुट रेंज काफी व्यापक होती है , जिससे यहाँ अलग – अलग लेवल को सपोर्ट करता है ।
- SMPS की sabse बड़ी विशेषता यहाँ है की यहाँ पावर की कमी को भी प्रभावी ढंग से पूरा कर सकता है ।
SMPS के Disadvantage
- SMPS का कार्यप्रणाली जटिल हो सकती है , जो इसके डिजाइन और ऑपरेशन को समझने में कठिनाई पैदा कर सकती है ।\
- SMPS आमतौर पर एक ही ऑउटपुट वोल्टेज प्रदान करता है , जिसमे इसमें अलग – अलग वोल्टेज लेवल को सपोर्ट करने में लिमिटेड हो सकती है ।
- SMPS हार्मोनिक गड़बड़ी का कारण बन सकता है , जो अन्य इलेक्ट्रानिक उपकरणों पर प्रभाव दाल सकता है ।
- SMPS में फ्रीक्वेन्सी विद्युत शोर होता है , जो कुछ संवेनशील उपकरणों में हस्तक्षेप कर सकता है।
- SMPS को लगो करने से इलेक्टॉनिक डिवाइस की कीमत बढ़ सकती है ।
अंतिम शब्द
दोस्तों , आज की जानकरी आपको पसंद आया होगा , आप से उम्मीद है की यहाँ जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होंगी । आप जान ही गए होंगे की SMPS क्या है और कैसे काम करता है । इसका हमारे कंप्यूटर सिस्टम में कितना महत्वपूर्ण योगदान है । इसके आलावा आप समझ गए होंगे की डिवाइस कैसे काम करता है और स्विच मोड सप्लाई तच्नोलोग्य की हेल्प से इसे और भी छोटा और कुशल बनाया जा रहा है , जिससे इसे छोटे – छोटे उपकरण में भी इस्तेमाल किया जा सकते है ।
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