आप सभी के मन Tirupati Balaiji Mandir kahan Hai यहाँ बात आती है, तिरुपति बालाजी मंदिर में दर्शन के लिए भक्त बहुत अधिक मात्रा में जाते है तो ऐसे में यहाँ सवाल मन में रहता है । इस बात को लेकर भी चिंतित रहता है की मंदिर कैसे जाये ? मंदिर कैसे पहुंचे, मंदिर में भोजन की व्यवस्था कैसा है और तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास क्या है ? यहाँ सवाल मन में रहता है, इस लेख को पूरा पढ़े आगे आपके जानकारी दी है ।
तिरुपति बालाजी मंदिर कहाँ है? (Tirupati Balaiji Mandir kahan Hai)
तिरूपति बालाजी मंदिर, जो श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, भारत के आंध्र प्रदेश राज्य में स्थित है। ये मंदिर तिरुमाला पहाड़ पर स्थित है, जो शेषाचलम पहाड़ों के बीच में आता है। मंदिर का मुख्य देवता भगवान वेंकटेश्वर हैं, जो भगवान विष्णु के अवतार में जाने जाते हैं। ये मंदिर हिंदू धार्मिक परंपरा में एक महत्वपूर्ण स्थल है और यहाँ हर साल लाखो लोग दर्शन करने आते है ।
मंदिर का निर्माण द्रविड़ वास्तुकला के अनुरूप किया गया है इस मंदिर के प्रमुख गेटहाउस को देखकर ही इसका महत्त्व समझ आ जाता है । मंदिर में काफी सुखद माहौल है जहा लोग ध्यान और भक्ति में डूबे रहते हैं। मंदिर के प्रांगण में भक्त ज्यादा समय बिताते हैं, अपनी मनोकामनाएं मांगते हैं और भगवान की पूजा अर्चना करते हैं।
तिरूपति बालाजी मंदिर का प्रशासन एक प्रकार से तिरुमला तिरूपति देवस्थानम (टीटीडी) के द्वार किया जाता है। ये एक स्वयं संचलित संस्था है, जो मंदिर की सेवा, प्रबंधन और धार्मिक कार्यों का प्रबंधन करता है। ये संस्था मंदिर के दिनचर्या, यात्रा व्यवस्था, भोजन प्रबंधन, और अनेक सेवाएं प्रबंध करती है।
तिरूपति बालाजी मंदिर की यात्रा को लोग अलग-अलग तरीकों से करते हैं। कुछ लोग पहाड़ पर चढ़ कर यात्रा करते हैं, कुछ लोग बसें और टैक्सी से जाते हैं, और कुछ लोग हेलीकॉप्टर से भी यात्रा करते हैं। यात्रा के दौरन यात्री मंदिर में प्रसादम और धार्मिक आर्थिक सहयोग देते हैं, जो मंदिर के विकास और सेवाओं को समर्थन देते हैं।
क्या मंदिर की महिमा, धार्मिकता और प्राकृतिक सुंदरता ने इसे भारत और विश्व भर में एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बनाया है।
तिरुपति बाला जी मंदिर का इतिहास (Tirupati Balaji Mandir History)
तिरुपति बालाजी मंदिर के साथ जुडी इतिहासिक कई कहानिया है, हालांकि इसके इतिहास को लेकर बुध्दिजीवियों के अनुयायियों के बीच मतभेद है । इस मंदिर का इतिहास बहुत ही पुराना है, लेकिन उसके असली उत्थान का विचार विभिन्न खोजों के बीच भिन्न – भिन्न है। ऐसा माना जाता है कि पांचवीं शताब्दी तक यह मंदिर एक महत्वपूर्ण धार्मिक केंद्र के रूप में विकसित हो गया था।
दोस्तों, तिरुपति बालाजी मंदिर की निर्माण की प्रक्रिया में चोल और विजयनगर जैसे महान साम्राज्यों ने भी विशेष महत्वपूर्ण योगदान दिया। यह परंपरा आज भी जारी है लोग आज भी इस मंदिर में दान के रूप में करोडो रुपये का दान और अपने गहनों को भगवान को भेट के रूप में समर्पित करते है ।
इस मंदिर को भगवान वेंकटेश्वर के नाम से समर्पित किया गया है, जिन्हें भगवान विष्णु के एक रूप के रूप में माना जाता है। इस मंदिर में एक काली रंग की खड़ी अवस्था में प्रतिमा है, जो भगवान वेंकटेश्वर की है, और इस प्रतिमा की महत्वपूर्ण विशेषता है।
मित्रों , इस मंदिर का इतिहास 9वीं सदी से प्रारंभ होता है। 9वीं सदी में कांचीपुरम के शासकों ने इस स्थान पर अपना आधिपत्य स्थापित किया था और उन्होंने इस मंदिर के विकास में महत्वपूर्ण योगदान किया। 15वीं सदी में विजयनगर साम्राज्य में इस मंदिर का विशेष विकास हुआ था। अंग्रेजों के शासनकाल में 1845 से 1933 तक यह मंदिर Hathiramji के प्रबंधन में था, जिन्होंने इस मंदिर के विकास में बड़ा योगदान दिया।
इसके बाद 1933 में मद्रास सरकार ने इस मंदिर का मैनेजमेंट Tirumala Tirupati Devasthanams नामक एक स्वतंत्र समिति के अधीन सौंप दिया । स्वतत्रंता के बाद आँध्रप्रदेश के रूप में राज्य गठन के समय एक प्रशासनिक अधिकारी को समिति में सरकार के प्रतिष्ठनिक प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त किया गया था ।
यहाँ शानदार मंदिर तिरुपति नामक पहाड़ी की सातवीं छोटी पर स्थित है इस मंदिर के पास एक अत्यंत सुन्दर तालाब है जिसे धार्मिक मान्यताओं में बहुत महत्व दिया जाता है । यहाँ कुछ विशेष मंदिर में से एक जहा हर जाति और धर्म के लोगो का स्वागत किया जाता है। इसके इतिहास से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज में लिखी बाते बताते है की कलयुग में वेंकटेश्वर स्वामी के दर्शन से ही व्यक्ति को मुक्ति मिल जाती थी ।
इस पहाड़ी पर जहां यह मंदिर स्थित है, उसे वेंकट पहाड़ी कहा जाता है, इसके कारण इसे वेंकटेश्वर स्वामी के नाम से भी जाना जाता है। तिरुपति में टोटल 7 पहाड़िया होने के कारण उन्हें साथ पहाड़िया का देवता भी कहाँ जाता है।
तिरुपति बालाजी का रहस्य (Mystery of Tirupati Balaji)
यह मंदिर रहस्यों से भरपूर है। चलिए, हम इस मंदिर के कुछ विशेष रहस्यों की चर्चा करें, जिनमें से कई रहस्यों को अब तक वैज्ञानिकों ने नहीं समझ सके हैं।
वेंकटेश्वरस्वामी पर लगे बाल असली है
इस मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर की मूर्ति को असली बालों से सजाया गया है। ऐसा माना जाता है कि इस देवता के बाल मुलायम रहते हैं और कभी उलझते नहीं है, जो असली बालो के रूप में इसकी प्रमाणिकता का प्रमाण है ।
कई सालो से बिना तेल का दिया जलना
मंदिर के गर्भगृह में एक दीपक जलता है और आप जानकर हैरान रह जायेगे की यहाँ दीपक कई सालो से बिना तेल के जल रहा है । ये काफी हैरान करने वाला है और कई लोगो को आश्चर्य होता है की ऐसा क्यों है ? आज तक इस दिलचस्प घटना का कोई निश्चित उत्तर किसी के पास नहीं है ।
समुद्री की लहरों की आवाज
भक्तों का मानना है कि इस मूर्ति से एक अनोखी ध्वनि निकलती है। जब कोई मूर्ति के पास जाकर ध्यान से सुनता है तो ऐसा प्रतीत होता है मानो मूर्ति ध्वनि उत्पन्न कर रही हो। ऐसा कहा जाता है कि यह समुद्र की लहरों की ध्वनि जैसा लगता है।
मूर्ति को पसीना आता है
हालाँकि इस मूर्ति का जल से अभिषेक नहीं किया जाता, फिर भी यह नम रहती है। पत्थर की मूर्ति जमीन से थोड़ा ऊपर स्थित है, इसलिए ऐसा भी नहीं कहाँ जा सकता है की यहाँ जमीन से पानी सोख रही हो, t0 फिर मूर्ति नम कैसे बनी रहती है यहाँ एक रहस्य है ।
वेंकटेश्वरस्वामी को निचे धोती ऊपर साड़ी
वेंकटेश्वरस्वामी को निचे धोती ऊपर साड़ी ,जब आप पूजा के लिए इस मंदिर में जाते हैं और अपना ध्यान मुख्य देवता की ओर केंद्रित करते हैं, तो आप एक अनूठी पोशाक व्यवस्था देखेंगे। मूर्ति को नीचे धोती और ऊपर साड़ी से सजाया गया है। यह प्रथा इस विश्वास पर आधारित है कि भगवान वेंकटेश्वर अपनी पत्नी पद्मावती के साथ यहां निवास करते हैं। देवी पद्मावती की उपस्थिति का प्रतीक करने के लिए, साड़ी को मूर्ति के ऊपर पहनाई जाता है।
तिरुपति बालाजी मंदिर पहुंचे (Reached Tirupati Balaji Tample)
तिरुपति बालाजी मंदिर सड़क मार्ग से कैसे पहुंचे-
राष्ट्रीय राजमार्ग 71 तिरुपति से निकलता है जिसमे देश के अलग अलग हिस्सों से तिरुपति तक आसानी से जा सकते है । दूर पहाड़ियों के बीच स्थित तिरुपति बालाजी के मुख्या मंदिर तक इसी राजमार्ग से पंहुचा जा सकता है । इन पहाड़ियों को तिरुमाला के नाम से जाना जाता है और ये शहर से सिर्फ 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं।
तिरुपति बालाजी मंदिर ट्रेन से कैसे पहुंचे –
यदि आपके ट्रेन से जाने का मन है तो या यात्रा करने की प्लानिंग बना रहे है तो नजदीकी रेनिगुंटा रेलवे स्टेशन एक प्रमुख केंद्र है जो तिरुपति बालाजी मंदिर से लगभग 32 किलोमीटर दूर स्थित है । यह रेलवे स्टेशन कई प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है, जो इसे एक सुविधाजनक विकल्प बनाता है।
यहाँ से सड़क मार्ग का उपयोग करते हुए तिरुपति मंदिर तक पहुंचने में लगभग 1 घंटा 10 मिनट का समय लगता है । इस रेलवे स्टेशन के ठीक बहार आपको नियमित समय पर बस सर्विस आसानी से मिल जाएगी, जिससे आप आराम से तिरुपति बालाजी जा सकते है ।
तिरुपति बालाजी मंदिर में हवाई जहाज से कैसे पहुंचे
अगर आप हवाई जहाज से दर्शन के लिए तिरुपति बालाजी जाना चाहते हैं तो आपको बता दें कि निकटतम हवाई अड्डा मंदिर से सिर्फ 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। तिरूपति शहर के भीतर स्थित यह हवाई अड्डा देश भर के अन्य प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है, और दिल्ली, मुंबई और कोलकाता सहित मार्गों से उड़ानें नियमित रूप से यहां आती हैं।
इस हवाई अड्डे के ठीक बाहर, आपको टैक्सी सेवाएँ आसानी से उपलब्ध मिलेंगी, जिससे आप आसानी से अपने स्थान तक पहुँच सकेंगे ।
तिरुपति बालाजी मंदिर में गुमने लायक सुन्दर जगह (Beautiful Places To Vishit In Tirupati balaji Temple)
चंद्रगिरि किला
तिरुपति से 20 किलोमीटर दूर स्थित चंद्रगिरि किला 11वी शताब्दी में बना एक प्राचीन गढ़ है । विजयनगर साम्राज्य के शासनकाल के दौरान यहाँ एक महत्वपूर्ण ईमारत में इस्तेमाल करता है था, यहाँ तक कि इसकी राजधानी के रूप में भी कार्य करता था। आक्रमणकारियों से सुरक्षा के लिए सरल निर्माण तकनीकों से तैयार किया गया यह किला एक उल्लेखनीय ऐतिहासिक झलक पेश करता है । इस किले की खोज करना वास्तव में एक अनुशंसित प्रयास है । जब आप तिरुपति बालाजी मंदिर में जाते है तो आप इस जगह को जरूर गुमने जाये ये एक बहुत ही सूंदर है और देखने लायक जगह है ।
वेंकटेश्वर स्वामी तिरुमला आश्रम देवस्थानम गार्डन
लगभग 450 एकड़ भूमि में फैला यहाँ उद्यान तिरुपति में एक अत्यधिक लोकप्रिय पर्यटक स्थल है । यहाँ फूलो की अलग – अलग प्रजातियां है जिन्हे आप देख सकते है । इसके आलावा बगीचे में कई टैंक और तालाब है, जो इसके आकर्षण को बढ़ाते है। इस जगह का सुनहरा माहौल पर्यटकों को खूब सूंदर नजारा है, जो काफी संख्या में पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है जो इस उद्यान में घूमने आते हैं।
श्री गोविंदा राज स्वामी मंदिर
तिरुपति के सबसे प्रसिध्द मंदिर में से एक है यहाँ मंदिर बहुत ही पूज्यनीय है जहा काफी संख्या में भक्त पूजा के लिए आते है । तिरपति बालाजी मंदिर के सामने ही यह मंदिर ऐतिहासिक महत्त्व और लोकप्रियता को दर्शाता है । श्री गोविंदा राज जी को भगवान श्री वेंकटेश्वर जी के बड़े भाई के रूप में भी जाना जाता है। इस मंदिर परिसर की दीवारें भगवद गीता और रामायण के श्लोकों की लाइन लिखी हुई है , जो अत्यधिक मनोरम दृश्य प्रस्तुत करती हैं।
कल्याणी बांध
स्वर्णमुखी नदी पर बना कल्याणी बांध वास्तव में एक मनमोहक संरचना है। तिरूपति शहर से 45 किलोमीटर दूर स्थित यह बांध असाधारण मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है। यहाँ बहुत ही खूब सूरत नजारा है , गुमने के लिए बहुत ही लोग यहाँ पर आते है ।
तिरुपति बालाजी के दर्शनीय स्थल श्री कालहस्त
यदि आप तिरुपति के निकट घूमने जाने जैस स्थान तलाश रहे है तो यह बहुत ही सूंदर स्थान है एक अद्भुद ऑप्शन आपके लिए , यहाँ मंदिर भगवान को समर्पित है जिसमे सुंदरता और ऐतिहासिक प्राचीनता देखने को मिलती है । तिरुपति बालाजी शहर से 37 किलोमीटर दूर स्थित स्थान धार्मिक प्रवृति वाले लोगो को काफी पसंद आ सकती है ।
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तिरुपति बालाजी मंदिर में रुकने की व्यवस्था
यदि आप तिरुपति बालाजी मंदिर जाने की प्लानिंग कर रहे है, तो आप रहने व रुकने के लिए जगह सर्च करने के बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं है । आस-पास कई धर्मशालाएँ हैं, और बहुत सारे आरामदायक आवास उपलब्ध हैं जहाँ आप आसानी से ₹50 प्रति रात से कम में एक कमरा सुरक्षित कर सकते हैं। बस ठहरने के लिए अपनी बुकिंग पहले से कराना याद रखें।
मंदिर के आसपास कई शानदार होटल भी है , जो लगभग एक हजार रुपये प्रति रत के लिए एयर कंडीशनिंग वाले कमरे या 2000 रुपये प्रति रात के लिए लग्जरी होटल कमरे अवेलेबल है, लेकिन आपको बुकिंग पहले करना अनिवार्य है ।
तीर्थयात्रियों की उच्च संख्या और काफी भीड़ को देखते हुए, विभिन्न धार्मिक स्थानों पर अधिकांश कमरे जल्दी से बुकिंग हो जाते हैं। इस समस्या के समाधान के लिए, मंदिर समिति ने अलग-अलग भवन स्थापित किए हैं जहाँ आप रह सकते हैं। ये इमारतें आपको बिस्तर और गद्दा उपलब्ध कराती हैं। यदि ये आवास भी भर जाते हैं, तो विशाल शयन क्षेत्र वाले कुछ हॉल उपलब्ध हैं, जहाँ आप फर्श पर सो सकते हैं। वे आपको लेटने के लिए चटाई उपलब्ध कराते हैं।
तिरूपति बालाजी मंदिर में भोजन व्यवस्था
प्रिय मित्रों, यदि आप दर्शन के लिए तिरूपति बालाजी जा रहे हैं, तो निश्चिंत रहें कि आपको यहां भोजन की उत्कृष्ट व्यवस्था मिलेगी। विभिन्न खाद्य वितरण केंद्र, जिन्हें “अन्नप्रसादम ग्रह” के के नाम से जाना जाता है चारो ओर बिखरे हुए है जो व्यवस्थित तरीके से स्वादिष्ट प्रसादम प्रदान करते है । आपको प्रसाद के रूप में स्वादिष्ट भोजन परोसा जायेगा । यहाँ स्थान दुनिया की सबसे बड़ी रसोई का होने का दावा करती है, जो प्रतिदिन लगभग 50,000 लोगो को भोजन को परोसता है ।
आप जब लाइन में बैठते है तो आपको केले के पत्ते पर चावल की खिचड़ी ओर मिठे चावल जैसे शुध्द भोजन रखे जाते है । मंदिर शुध्द शाकाहारी भोजन दिए जाते है ओर बिलकुल साफ सुथरा भोजन परोसता है ।
तिरुपति बालाजी मंदिर FAQ
Q. तिरुपति बालाजी मंदिर कहाँ स्थित है ?
Ans – तिरुपति बालाजी मंदिर भारत के आंध्र प्रदेश राज्य में तिरुमाला शहर में स्थित है ।
Q क्या मुझे दर्शन के लिए पैसे देने होते है ?
Ans – हां, दर्शन की विभिन्न प्रकार के विकल्प होते हैं, जिनमें नि:शुल्क दर्शन और विशेष भुगतान वाले दर्शन शामिल होते हैं। दर्शन के प्रकार के आधार पर कतार और इंतजार की समय विभिन्न हो सकते हैं।
Q. क्या मैं दर्शन के टिकट ऑनलाइन बुकिंग कर सकता हूँ ?
Ans – हां, मंदिर विभिन्न दर्शन विकल्पों के लिए ऑनलाइन बुकिंग विकल्प प्रदान करता है। यह आपकी यात्रा की योजना बनाने और इंतजार की समय कम करने में मदद कर सकता है।
Q. दर्शन के लिए कैसे कपड़े पहननी चाहिए ?
Ans – आमतौर पर भक्तों को पारंपरिक पोशाक पहनने की सलाह दी जाती है। पुरुषों को धोती या कुर्ता-पायजामा, और महिलाओं को साड़ी या सलवार-कमीज़ पहनने की सलाह दी जाती है। यहाँ पर शॉर्ट्स , स्लीवलेस टॉप्स ओर पश्चिमी कपड़े अनुमति नहीं है ।
Q. क्या मैं अपना सामान मंदिर परिसर के अंदर ले सकता हूँ ?
Ans – आमतौर पर, आपको मंदिर के अंदर बैग, इलेक्ट्रॉनिक सामान और चमड़े की वस्तुएं लेने की अनुमति नहीं होती। आपके सामान को सुरक्षित रखने के लिए विशेष क्षेत्र तय किए गए हैं।
Q. क्या दर्शन के लिए कोई विशेष समय होता है ?
Ans – हां, मंदिर सुबह जल्दी खुलता है और विभिन्न प्रकार के दर्शन के लिए विशिष्ट समय होता है। नवीनतम जानकारी के लिए आधिकारिक मंदिर वेबसाइट की जाँच करना उचित है।
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