मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय रचनाएँ,कहानी,निबंध,भाषा-शैली के बारे में

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मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय

मुंशी प्रेमचंद हिंदी साहित्य के महानतम लेखकों में से एक माने जाते हैं। munshi premchand ka jeevan parichay के बारे में जानेगे और साथ ही उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन साहित्य की साधना में समर्पित किया। हिंदी और उर्दू साहित्य में उनके विशिष्ट योगदान के लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है। प्रेमचंद हिंदी साहित्य के सबसे लोकप्रिय और व्यापक रूप से पढ़े जाने वाले लेखकों में शामिल हैं। उन्होंने अपने जीवनकाल में 300 से अधिक कहानियाँ, एक दर्जन से अधिक उपन्यास, निबंध, आलोचना, लेख, और संस्मरण की रचना की। munshi premchand ka jeevan parichay के बारे और जानने के लिए आगे पढ़े –

मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय

 

विवरण जानकारी
वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव
प्रचलित नाम नवाब राय, मुंशी प्रेमचंद
जन्म 31 जुलाई, 1880
जन्म स्थान लमही, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)
पिता का नाम अजायब राय
माता का नाम आनंदी देवी
पत्नी का नाम शिवरानी देवी
संतान श्रीपत राय , अमृत राय , कमला देवी श्रीवास्तव
पेशा लेखक, अध्यापक, पत्रकार
काल आधुनिक काल
विधा कहानी, उपन्यास, निबंध
भाषा उर्दू, हिंदी
प्रमुख कहानिया पंच परमेश्वर , दो बैलो की कथा , ठाकुर का कुआ , सवा सेर गेहू , नमक का दरोगा इत्यादि ।
उपन्यास  रंगभूमि , कर्मभूमि , गबन । सेवासदन इत्यादि
नाटक कर्बला, वरदान, संग्राम, प्रेम की वेदी
संपादन माधुरी, मर्यादा, हंस, जागरण
प्रगतिशील लेखक संघ प्रथम अध्यक्ष (1936)
निधन 08 अक्टूबर 1936

मुंशी प्रेमचंद प्रारंभिक जीवन

मुंशी प्रेमचंद जी का जन्म 31 जुलाई 1880 को काशी से चार मिल दूर स्थित लमही नामक गांव में एक गरीब परिवार में हुआ था , उनके पिता का नाम अजायब राय एक पोस्टमैन थे । तब उनकी माता का देहांत हो गया और चौदह साल की उम्र में उन्होंने अपने पिता को भी खो दिया। इनके परिवार में पहले बहुत आर्थिक तंगी थी, और पिता के निधन के बाद कठिनाइयाँ और बढ़ गयी। बचपन में ही इन्हें घर की और रोटी कमाने की जिम्मेदारी उठानी पड़ी और उन्होंने ट्यूशन करके की मैट्रिक परीक्षा पास की।

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मुंशी प्रेमचंद का जीवन

प्रेमचंद की पहली शादी कम उम्र में हुई थी, जो सफल नहीं रही। बाद में उन्होंने शिवरानी देवी से दूसरा विवाह किया। उन्होंने स्कूल मास्टरी की नौकरी करते हुए एफ.ए. और बी.ए. की परीक्षाएं उत्तीर्ण की। अपनी मेहनत और लगन से वह 1921 में गोरखपुर में स्कूल के डिप्टी इंस्पेक्टर बन गए।

साहित्यिक यात्रा का आरंभ

महात्मा गांधी के सरकारी नौकरी से इस्तीफा देने के आह्वान पर उन्होंने भी अपनी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। इसके बाद कुछ समय के लिए उन्होंने कानपुर के मारवाड़ी स्कूल में अध्यापन किया और फिर काशी विद्यापीठ में प्रधान अध्यापक के पद पर कार्य किया। इसके बाद उन्होंने विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया और काशी में एक प्रेस की स्थापना की।

सन 1934 और 1935 में उन्होंने मुंबई की एक फिल्म कंपनी में 8,000 रुपये वार्षिक वेतन पर नौकरी करते थे , लेकिन उन्हें जलोदर बीमारी के कारण 8 अक्टूबर 1936 को काशी स्थित अपने गांव में उनका देहांत हो गया । मुंशी प्रेमचंद जी का जीवन यात्रा संघर्ष और साहित्यिक उत्कृष्टता से भरी है और उनके योगदान ने हिंदी साहित्य को एक अमूल्य धरोहर प्रदान की है ।

शिक्षा और विवाह

प्रेमचंद की पहली शादी काम उम्र में हुई थी , जो सफल नहीं रही है बाद में उन्होंने शिवरानी देवी से दूसरा विवाह किया , स्कूल मास्टरी की नौकरी करते हुए MA और BA की परीक्षाएं पास की । अपनी मेहनत और लगन से वह 1921 में गोरखपुर में स्कूल के डिप्टी इंस्पेक्टर बन गए।

प्रेमचंद का पहला विवाह

जब प्रेमचंद का विवाह 15 साल में हुए थे वह विवाह उनके सौतेले नाना ने तय किया था उस समय के विवरण से लगता है की लड़की देखने में बहुत सुन्दर थी और लड़की की स्वाभाव भी अच्छी नहीं थी । वह एक झगड़ालू टाइप की थी और प्रेमचंद जी कोमल मां के थे और कल्पना भाव रखते रखते ढह गई । प्रेमचंद का विवाह तो हुआ लेकिन वह एक दुखद घटना साबित हुआ वह कभी अभिशाप बन गया , इसलिए प्रेमचंद ने निश्चय किया कि किसी दूसरे विधवा कन्या से शादी करेंगे जो उनके उच्च विचारों और आदर्श का अनुरूप था ।

प्रेमचंद का दूसरा विवाह

सन 1905 के अंतिम दिनों में उन्होंने शिवरानी देवी से शादी कर ली शिवरानी देवी बल विधवा थी । उनके पिता फतेहपुर के पास के इलाके में एक साहसी जमींदार थे । उनके पिता भी इस विवाह से खुश थे । ऐसा कहा जाता है कि दूसरे विवाह के पश्चात उनके जीवन में बदलाव आए और आए की आर्थिक तंग कम हुई । प्रेमचंद की पदोन्नति हुई तथा यहां स्कूलों के डिप्टी इंस्पेक्टर बना दिए गए ।

इसी खुशहाली के ज़माने में प्रेमचंद की पांच कहानी का संग्रह सोजे वतन प्रकाश से आया , यहाँ संग्रह काफी मशहूर था शिवरानी देवी की पुस्तक ” प्रेमचंद के घरेलु जीवन जा सजीव और अतरंग चित्र प्रस्तुत करती है ”। प्रेमचंद स्वभाव से सरलता , आशीर्वाद व्यक्ति थे वे सभी का विश्वास करते थे किंतु निरंतर उन्हें धोखा खाना पड़ता था उन्होंने अनेक लोगों को धनराशि कर्ज दी किंतु लोगों ने हमेशा धोखा दिया ।

मुंशी प्रेमचंद साहित्यिक परिचय 

मुंशी प्रेमचंद जी ने लगभग एक दर्जन उपन्यास और 300 कविताएं की रचना की उन्होंने ‘माधुरी’ और ‘मर्यादा’ नामक एक पत्रिकाओं का संपादन किया तथा ‘ हंस’ और ‘जागरण’ नामक पत्र भी निकले । मुंशी प्रेमचंद उर्दू रचनाओं में ‘ नवाब राय’ के नाम से लिखे थे । उनकी रचनाएं यथार्थवादी है जिसमें जीवन की वास्तविकता का सत्य चित्रण किया गया है । समाज सुधा एवं राष्ट्रीय उनकी रचनाओं के प्रमुख विषय रहे हैं ।

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मुंशी प्रेमचंद का जीवन

प्रेमचंद जी ने हिंदी साहित्य में युगांतर उपस्थित किया है उनके साहित्य समाज सुधर और राष्ट्रीय भावनाओ से भावनात्मक प्रेम है । माँ अपने समय की सामाजिक तथा परिस्थिति का पूरा प्रतिनिधित्व करता है । उन्होंने किसानों की दशा सामाजिक बांधों में तड़प के नारियों की वेदना और वर्ण व्यवस्था की कठोरता के भीतर सन्यास्त्र परिजनों की पीड़ा का मार्मिक चित्रण मिलता है ।

प्रेमचंद जी ने अपने पुस्तक में यह भी लिखा कि सहानुभूति भारत की दलित जनता, शोषित किसानों, मजदूर और उपेक्षित नारियों के प्रति रही है । प्रेमचंद जी सामायिकता के साथ ही उनके साहित्य में ऐसे तत्व विद्यमान है जो उसे शाश्वत और स्थाई बनाते हैं । मुंशी प्रेमचंद अपने समय के उन सिद्ध कलाकारों में से एक थे जिन्होंने हिंदी को नवीन युग आशा- आकांक्षाओ की अभिव्यक्ति का सफल माध्यम बनाया ।

मुंशी प्रेमचंद की रचनाएँ/ कृतियाँ

मुंशी प्रेमचंद जी की रचनाएँ

श्रेणी रचनाएँ
उपन्यास  कर्मभूमि , कार्यकल्प , निर्मला , प्रतिज्ञा , प्रेमाश्रम , वरदान , सेवासदन , रागभूमि , गबन और गोदान
चरित्र जीवन  कमल , तलवार और त्याग , दुर्गादास , महात्मा , शेखसादी
निबंध संग्रह कुछ विचार
नाटक  कर्बला , प्रेम की वेदी , संग्राम और रूठी रानी
सम्पादित कृतियाँ ‘गल्प रत्न’ और ‘गल्प – समुच्चय’
कहानी-संग्रह ‘नवनिधि’, ‘ग्राम्य जीवन की कहानियाँ’, ‘प्रेरणा’, ‘कफन’, ‘प्रेम पचीसी’, ‘कुत्ते की कहानी’, ‘प्रेम-प्रसून’, ‘प्रेम-चतुर्थी’, ‘मनमोदक’, ‘मानसरोवर’, ‘समर-यात्रा’, ‘सप्त-सरोज’, ‘अग्नि-समाधि’, ‘प्रेम-गंगा’ और ‘सप्त-सुमन’

मुंशी प्रेमचंद की कहानियों की सूची

आप कहानी की सूची कुछ इस प्रकार है मुंशी प्रेमचंद जी की मैन सरोवर के आठ प्रमुख भागों में होने वाली 300 से अधिक कहानी में से 118 कहानी इस प्रकार है

क्रमांक कहानी का नाम
1 रात लड़की
2 अमृत
3 आखरी मंजिल
4 ईदगाह
5 एक आज की कसर
6 कफन
7 कातिल
8 क्रिकेट मैच
9 ग्रह दादा
10 जुलूस
11 झांकी
12 त्रिशूल
13 दंड
14 दूध का दाम
15 देवी
16 एक और कहानी
17 निर्वाचन
18 पत्नी से पति
19 पुत्र प्रेम
20 प्रतिशोध
21 बड़े घर की बेटी
22 बंद दरवाजा
23 बैंक का दिवाला
24 मंत्र
25 मां
26 मुक्ति धन
27 मोटे राम जी शास्त्री
28 स्वर्ग की देवी
29 वासना की कड़ियाँ
30 शंखनाद
31 शांति
32 सभ्यता का रहस्य
33 सवा शेर गेहूं
34 नमक का दरोगा
35 सुहाग का शव
36 होली की छुट्टी
37 अंधेर
38 आत्मा संगीत
39 इज्जत का खून
40 ईश्वरी न्याय
41 एक्ट्रेस
42 कर्मों का फल
43 कोई दुख ना हो तो बकरी का खरीद लो
44 खुदी
45 जेल
46 गैरत की कठार
47 ठाकुर का कुआं
48 तेंतर
49 दिल की रानी
50 दूसरी की शादी
51 दूसरी शादी
52 दो बैलों की कथा
53 धिक्कार
54 नरक का मार्ग
55 नाग पूजा
56 परीक्षा
57 पोस की रात
58 बड़े बाबू
59 बांका जमींदार

अन्य कहानियाँ

क्रमांक कहानी का नाम
60 नशा
61 नयी बीबी
62 नए समाज में
63 नौकर
64 पत्नी
65 पति और पत्नी
66 पाठशाला
67 पाप
68 प्यार
69 प्रायश्चित
70 प्रमुख
71 प्रसाद
72 प्रवेश
73 प्रसन्नता
74 प्रतिदान
75 प्रतिमा
76 प्रसन्नता
77 प्रायश्चित
78 पंचायत
79 पंडित
80 परेशानी
81 परीक्षा
82 परिवेश
83 परी
84 पलक
85 पलक झपकते
86 परिचय
87 परिवर्तन
88 परलोक
89 पंछी
90 पर्व
91 पहाड़
92 पड़ोस
93 पक्का
94 पटकथा
95 पकवान
96 पंख
97 पंक्ति
98 परिवर्तन
99 पथिक
100 पता
101 पतझड़
102 पल
103 प्रेम
104 प्रार्थना
105 प्रयास
106 प्रधान
107 परिवर्तन
108 पुल
109 पूर्ण
110 प्रतिभा
111 प्रथा
112 प्रस्तुति
113 प्रतिद्वंद्विता
114 प्रतिरोध
115 प्रेम-लीला
116 प्रजा
117 प्रपंच
118 प्रबुद्ध

मुंशी प्रेमचंद्र के नाटक 

हम जानेगे की मुंशी प्रेमचंद द्वारा रचित नाटक के बारे में

क्रमांक नानक के नाम
1. संग्राम
2. कर्बला
3. प्रेम की वेदी

मुंशी प्रेमचंद्र के निबंध

मुंशी प्रेमचंद एक संवेदनशील लेखक होने के साथ-साथ सजग नागरिक और संपादक भी थे। उन्होंने कई गंभीर विषयों पर लेख और निबंध लिखे हैं। यहाँ कुछ प्रमुख निबंधों का विवरण दिया गया है:

  1. साहित्य का उद्देश्य
    इस निबंध में प्रेमचंद ने साहित्य के उद्देश्य और उसकी सामाजिक भूमिका पर विचार व्यक्त किए हैं। उन्होंने साहित्य को समाज का दर्पण बताया है और इसके माध्यम से समाज सुधार की आवश्यकता पर बल दिया है।
  2. पुराना जमाना नया जमाना
    इस निबंध में उन्होंने पुराने और नए समय की तुलना करते हुए सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन पर अपने विचार साझा किए हैं।
  3. स्वराज के फायदे
    इस लेख में प्रेमचंद ने स्वराज के महत्व और इसके लाभों पर चर्चा की है। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के समय इसे जनता के लिए जागरूकता फैलाने का माध्यम बनाया।
  4. कहानी कला (तीन भागों में)
    इस निबंध श्रृंखला में प्रेमचंद ने कहानी लेखन की कला, उसके तत्वों और उसकी तकनीक पर विस्तृत चर्चा की है।
  5. उपन्यास
    इस लेख में उन्होंने उपन्यास की परिभाषा, उसकी विशेषताओं और सामाजिक भूमिका पर अपने विचार प्रकट किए हैं।
  6. हिंदी-उर्दू की एकता
    इस निबंध में प्रेमचंद ने हिंदी और उर्दू भाषाओं की एकता और उनके बीच के संबंधों पर विचार किया है। उन्होंने भाषाई एकता के माध्यम से सांस्कृतिक एकता की आवश्यकता पर जोर दिया है।
  7. महाजनी सभ्यता
    इस लेख में उन्होंने महाजनी सभ्यता की आलोचना की है और इसके समाज पर पड़ने वाले प्रभावों का विश्लेषण किया है।
  8. कौमी भाषा के विषय में कुछ विचार
    इस निबंध में उन्होंने राष्ट्रीय भाषा के महत्व और उसकी आवश्यकता पर विचार किया है। उन्होंने भारतीय समाज में भाषाई एकता की आवश्यकता पर बल दिया है।
  9. जीवन में साहित्य का स्थान
    इस लेख में प्रेमचंद ने जीवन में साहित्य के महत्व और उसकी उपयोगिता पर अपने विचार साझा किए हैं। उन्होंने साहित्य को समाज का मार्गदर्शक बताया है।

मुंशी प्रेमचंद्र का बल साहित्य 

मुंशी प्रेम चंद्र जी ने अपने पुस्तक में बल साहित्य की भी रचना की थी जिसमे बल साहित्य के रचनाओं के बारे में जानकारी दी है –

  • रामकथा
  • दुर्गादास
  • कुत्ते की कहानी
  • जंगल की कहानिया

प्रेमचंद जी के विचार

मुंशी प्रेमचंद के लेखो में उनके विचार का संकलन विशेष महत्वपूर्ण है , उनके विचारो को समझने के लिए निचे पढ़े –

  1. प्रेमचंद: विविध प्रसंग
    यहाँ संग्रह अमृतराय द्वारा समादित है , जीमने मुंशी प्रेमचंद के अलग – अलग लेखो और प्रसगों को सकलित किया गया है । इस पुस्तक में प्रेमचंद के सामाजिक , राजनितिक और सांस्कृतिक विचारो का विस्तृत विवरण मिलता है ।
  2. प्रेमचंद के विचार (तीन खंडों में)
    यह संकलन प्रेमचंद के विभिन्न विचारों को तीन खंडों में विभाजित करता है। इसमें उनके साहित्यिक, सामाजिक, और नैतिक दृष्टिकोण को विस्तार से प्रस्तुत किया गया है। इन खंडों में प्रेमचंद के प्रमुख लेख और निबंध शामिल हैं, जो उनके व्यापक दृष्टिकोण को उजागर करते हैं।

 भाषा-शैली (Bhasha-Shaili)

मुंशी प्रेमचंद जी की भाषा के प्रमुख रूप जैसे पहला वह जिसमे संस्कृत के तत्सम शब्दों का अधिक उपयोग होता है, और दूसरा वह है जिसमे उर्दू , संस्कृत और हिंदी के व्यावहारिक शब्दों का समावेश होता है ।  दूसरी प्रकार की भाषा अधिक सजीव, व्यावहारिक और प्रवाहमयी है। प्रेमचंद की भाषा सहज, सरल, व्यावहारिक, प्रवाहपूर्ण, मुहावरेदार और प्रभावशाली है। वे विषय और भावों के अनुरूप अपनी शैली को परिवर्तित करने में निपुण थे। उन्होंने अपने साहित्य में मुख्यतः पाँच शैलियों का प्रयोग किया है:

  1. वर्णनात्मक शैली
  2. विवेचनात्मक शैली
  3. मनोवैज्ञानिक शैली
  4. हास्य-व्यंग्यप्रधान शैली
  5. भावात्मक शैली

मुंशी प्रेमचंद के सामाजिक और राजनैतिक दृष्टिकोण

मुंशी प्रेमचंद जी ने अपने साहित्य और लरखो के माध्यम से समाज और राजनीति पर गहरा प्रभाव डाला, इसे निचे पढ़े –

सामाजिक दृष्टिकोण

  1. सामाजिक न्याय और समानता
    प्रेमचंद ने अपने लेखन में सामाजिक न्याय और समानता की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने जाति, वर्ग और लैंगिक भेदभाव के खिलाफ अपनी कलम चलाई और समाज में समानता और न्याय के लिए संघर्ष किया।
  2. शिक्षा का महत्व
    उन्होंने शिक्षा को समाज सुधार का महत्वपूर्ण साधन माना। उनकी कहानियाँ और उपन्यास अक्सर शिक्षा की महत्ता को रेखांकित करते हैं, जिससे समाज में जागरूकता और विकास हो सके।
  3. ग्रामीण जीवन का चित्रण
    प्रेमचंद जी ने ग्रामीण जीवन और उनकी समस्याओ का वास्तविक चित्रण किया है और उनकी कहानिया जैसे – पूस की रात , और गोदान में किसानो की दुर्दशा और उनके संघर्ष को बखूबी दर्शाया गया है ।
  4. महिला सशक्तिकरण
    उन्होंने महिलाओं की स्थिति और उनके अधिकारों पर भी ध्यान केंद्रित किया। उनके लेखन में महिलाओं की समस्याओं और उनके अधिकारों के लिए आवाज उठाई गई।

राजनैतिक दृष्टिकोण

  1. स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्रवाद
    प्रेमचंद ने भारतीय स्वतंत्रता का समर्थन किया और अपने लेखो के माध्यम से लोगो को जागरूक किया । ब्रिटिश शासन की आलोचना की और भारतीय स्वतंत्रता की आवशयकता पर बल दिया ।
  2. गांधीवादी विचारधारा
    उन्होंने महात्मा गांधी के विचारों का समर्थन किया और उनके आंदोलनों में भाग लिया। गांधीजी की अहिंसा और सत्याग्रह की नीति से प्रभावित होकर उन्होंने अपनी सरकारी नौकरी तक छोड़ दी थी।
  3. समाजवाद और आर्थिक समानता
    प्रेमचंद जी समाजवाद विचारधारा से प्रेरित थे प्रेमचंद ने आर्थिक असमानता और शोषण के खिलाफ अपने लेखन के माध्यम से आवाज उठाई । ” महाजनी सभ्यता ” जैसे लेखो में आर्थिक शोषण की आलोचना की ।
  4. धर्मनिरपेक्षता और साम्प्रदायिक सौहार्द
    उन्होंने धार्मिक भेदभाव के खिलाफ लिखा और हिंदू-मुस्लिम एकता पर जोर दिया। उनकी कहानियाँ और लेख धार्मिक सहिष्णुता और सांप्रदायिक सौहार्द को प्रोत्साहित करते हैं।

मुंशी प्रेमचंद के ये विचार और दृष्टिकोण उनके साहित्यिक कार्यों में गहराई से प्रतिध्वनित होते हैं, जो आज भी सामाजिक और राजनीतिक संदर्भों में प्रासंगिक हैं।

मुंशी प्रेमचंद का निधन

प्रेमचंद जी ने अपना सपूर्ण जीवन साहित्य की साधना में समर्पित कर दिया था और यहाँ साधना उनकी अंतिम धड़ी तक जारी रही है । सं 1936 के जून माह से ही उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता जा रहा था । इसके बावजूद वे अपनी साहित्य साधना से तनिक भी विचलित नहीं हुए और इस समय के दौरान उन्होंने अपने अंतिम उपन्यास ‘मंगलसूत्र’ की रचना शुरू की। लेकिन उनका स्वास्थ्य तेजी से गिरता रहा और अंततः 8 अक्टूबर 1936 को हिंदी साहित्य के इस महान लेखक ने सदा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उनकी मृत्यु के बावजूद उनकी साहित्यिक कृतियाँ उन्हें हमेशा के लिए अमर बना गईं।

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मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय FAQ

1. मुंशी प्रेमचंद का वास्तविक नाम क्या था ?

Ans – मुंशी प्रेमचंद का वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव था ।

2. मुंशी प्रेमचंद जी का जन्म कब और कहा हुआ था ?

Ans – मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 में उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के लमही गांव में हुआ था ।

3. उनके माता-पिता का नाम क्या था?

Ans – उनके पिता का नाम अजायब राय और माता का नाम आनंदी देवी था।

4. मुंशी प्रेमचंद की पत्नी का नाम क्या था?

Ans – मुंशी प्रेमचंद की पत्नी का नाम शिवरानी देवी था।

5. मुंशी प्रेमचंद के कितने बच्चे थे ?

Ans – मुंशी प्रेमचन्द के तीन बच्चे थे जिनका नाम अमृतराय और कमला देवी श्रीवास्तव ।

6. मुंशी प्रेमचंद ने किस पेशे में कार्य किया ?

Ans – मुंशी प्रेमचंद एक लेखक , अध्यपक और पत्रकार थे ।

7. मुंशी प्रेमचंद की प्रमुख रचनाये कौन – कौन सी है ?

Ans – उनकी प्रमुख रचनाये में गोदान , गबन , सेवासदन , रंगभूमि , कर्मभूमि , निर्मला और प्रेमाश्रम शामिल है ।

8. मुंशी प्रेमचंद को ‘उपन्यास सम्राट’ किसने कहा?

Ans – बंगाल के प्रसिद्ध उपन्यासकार शरतचंद्र चट्टोपाध्याय ने मुंशी प्रेमचंद को ‘उपन्यास सम्राट’ कहा।

9. मुंशी प्रेमचंद ने कौन-कौन सी पत्रिकाओं का संपादन किया ?

Ans – मुंशी प्रेमचंद ने माधुरी , हंस , मर्यादा और जागरण जैसी लोकप्रिय पत्रिका का संपादन किया ।

10. मुंशी प्रेमचंद का निधन कब हुआ ?

Ans – मुंशी प्रेमचंद का निधन 8 अक्टूबर 1936 को हुआ ।

11. प्रेमचंद की भाषा-शैली कैसी थी ?

Ans – प्रेमचंद की भाषा सहज, सरल, व्यावहारिक, प्रवाहपूर्ण, मुहावरेदार और प्रभावशाली थी। उन्होंने अपने साहित्य में प्रमुख रूप से पाँच शैलियों का प्रयोग किया: वर्णनात्मक, विवेचनात्मक, मनोवैज्ञानिक, हास्य-व्यंग्यप्रधान और भावात्मक शैली।

12. मुंशी प्रेमचंद के सामाजिक और राजनैतिक दृष्टिकोण क्या थे ?

Ans – प्रेमचंद ने सामाजिक न्याय, समानता, शिक्षा, महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण जीवन के सुधार पर जोर दिया। राजनीतिक दृष्टिकोण से, उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम का समर्थन किया, गांधीवादी विचारधारा को अपनाया, समाजवाद और आर्थिक समानता पर बल दिया, और धार्मिक सहिष्णुता व सांप्रदायिक सौहार्द को प्रोत्साहित किया।

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आशा है की आपको munshi premchand ka Jeevan Parichay ये आर्टिकल आपको पसंद आया होंगे । ऐसे ही अन्य प्रसिध्य व्यक्तियों के जीवन परिचय के बारे में पढ़ने के लिए sirat999.in के साथ बने रहे ।

 

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